विश्वास
सूरज है साक्षी जिसका
ऋतुओं मै जो पला बड़ा है
ऊँचे पहाड़ो सा धैर्य लिए
वो विश्वास कही कम न हो जाये ..
सींचा है जिसको एक बीज सा
पाला जिसको दाना चुगकर
अब पीपल सा रूप लिए
वो विश्वास कही कम ना हो जाये ...
झरने जिसकी छबि लिए
सागर सा विस्तृत है वो
नदियों सा प्रवाहित रहा जो
वो विश्वास कही कम ना हो जाये.....
तरुबेला पर कलियों जैसा खिला
साखों पर बेलों सा चिपटा
तुझको मुझको बांधे है जो
वो विश्वास कही कम ना हो जाये ......
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