तुझ ही तक
किनारे पर ही चला हूँ हरदम
तटस्थता जीवन सार नहीं है
आर पार का द्वन्द नहीं है
जीवन की ये राह तुझ ही तक
तटस्थता जीवन सार नहीं है
आर पार का द्वन्द नहीं है
जीवन की ये राह तुझ ही तक
स्नेह चुना जीवन दर्शन
घृणा जीवन रह न पायी
समर्पण के सब भाव लिए
जीवन की ये राह तुझ ही तक
पाना खोना हिसाब नहीं है
साथ है जो वो जीना है
मंजिल की एक डगर लिए
जीवन की ये राह तुझ ही तक
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