तुझतक

मेरे पर्वत मेरे झरने 
बहती नदियां तुझ तक हैं
माली उपवन आंगन खुशबू
 घर की क्यारी तुझ तक है
बाबू जी की कलम स्याही 
माँ की हसिया तुझ तक है
राह तरसती शाम उदासी
 इन्तजार बस तुझ तक है
जलता दीपक बुझती शमा
बची आस बस तुझ तक है
 पूरी किताब आखिरी पन्ना
निष्कर्ष जीवन तुझ तक है
फैला है हर कोने सागर 
सार हमारा तुम तक है
रोशन होगा जग सारा ही
मन का उजाला तुझ तक है

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