निशान

कुछ बस याद रहे
काले से निशां रहे
जन्मों और अजन्मों में
कर्ण कोई कोई राम रहे
कुछ आँखों से बह निकले
कुछ घूँट गले में अटक गये
बातों और खामोशी में
जुडे कोई कोई बह निकले
कुछ रूखे से बदन गये
कुछ गदराये जख्म गये
होश और बेहौशी में
रोये कोई कोई चीख गये
जन्म अजन्म की बात नही
दुविधा मन की बह निकली
साथ और समर्पण में
बिछे कोई कोई पसर गये

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