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Showing posts from May 3, 2020

दौड़ दौड़

कब तुझसे दूर रहा ख्याबों में कब तू दूर रहा यादों से मृतृष्णा है जीवन की दौड़ दौड़ भरमाता हूँ कब तुझसे पास यथार्त रहा है कब तू पास रहा है मन के जिद है उन संघर्षों की दौड़ दौड़ भिड़ जाता हूँ कब तुझसे कोई नाता है कब तूने  मन से माना है शरारतें है अल्हड़ता की दौड़ दौड़ खो जाता हूँ कब तुझसे कोई आशाएं हैं कब मन ख्वाब देखना छोड़ा है सपने हैं सपनो का क्या दौड़ दौड़ मुड़ आता हूँ

तु सदा

ये अठखेलियाँ भी अच्छी हैं  अजनबी इस वहम की  जो साथ में चला नही  वोही साथ में रहा सदा  ये पहेलियाँ भी अच्छी हैं  अनसुलझे इस सम्बद्ध की  जो कभी अपना था नही  वोही रिश्तों में रहा सदा  ये सिसकियाँ भी अच्छी हैं  अनकहे इस लगाव की जो कभी आँखों से था नही वोही आँसुओं मे बहा सदा 

तेरे मेरे

खाली रस्तों पर दौड़े हैं  तेरे मेरे बीच के नाते  कच्चे डोरों मे उलझें हैं  तेरे मेरे बीच के धागे  गहरे घाव बना बैठे हैं तेरे मेरे भाव के चेहरे  रंगों में बेरंग रहे  हैं तेरे मेरे बीच के साये  दूर कहीं जाकर बस बैठे तेरे मेरे बीच के रिश्ते मन मन्दिर पर छाये रहे है तेरे मेरे बीच के वादें