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Showing posts from December 31, 2023

राम

मेरे मन जो राम बसे हैं  वो सीता माँ के साथ बसे हैं होगी बाल छवि अति मधुरम मेरे मन पिनाक उठाये बसे हैं मेरे मन जो राम बसे हैं वो लखन हनुमन्त साथ बसे हैं चलते होंगें ठुमक रामचन्द्र मेरे मन दृढ संकल्प बसे हैं मेरे मन जो राम बसे हैं वो जंगल जंगल घूम रहे हैं होते होंगें चन्द्रमुकुट सब मेरे मन बनकल पहने हैं मेरे मन जो राम बसे हैं वो समुन्द्र पर सेतु तर रहे हैं होतें होंगे दीप वो जगमग मेरे मन अंहकार मारे हैं मेरे मन जो राम बसे हैं वो सीता माँ के साथ बसे हैं

सर्द मौसम

एक तो मौसम सर्द हुआ है एक रूठी सी दुनियां है  सबके अपने राग द्वेष हैं सबके अपने अपने लोग मेरा रास्ता तेरी गली का मेरी मंजिल साथ तेरा तु रूठे तो जग रूठा है तु हंस दे तो काम तमाम तु सुबह की पहली किरण हो तु दिन का छंटता कुहरा हो तु शामों की सर्द हवा तु रातों की गर्माहट हो