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Showing posts from September 11, 2022

हस्ती मेरी

 मुझे बोने होते हैं जब  मैं यादों के बीज बोता हूँ  रहे न रहे हस्ती मेरी  मैं पौध आस उगाता हूँ  मुझे रोना होता है जब  मैं खुद को भूल जाता हूँ  रहे न रहे बस्ती मेरी  मैं क्यारियां सजाता हूँ  मुझे पाना होता है जब  मैं तुझको याद करता हूँ  रहे न रहे तू संग मेरे  मैं सपने खूब सजाता हूँ  मुझे हसना होता है जब  मैं तेरे साथ रहता हूँ  रहे ने रहे सांसे सदा  मैं संग तेरे जी जाता हूँ 

अंजुरी भर आकाश

 अंजुरी भर आकाश उठा लूँ ख़ाली सी हथेली पर  तू मेरी परछाई बन जा  सुनसान सी ख़ाली राहों पर  मद्धम से कुछ दीप जला लूँ  घर के सुने कोने पर  तू मेरी अंगड़ाई बन जा  जगती सुबह शामों पर  थोड़े से कुछ बीज छिटक लूँ  ख़ाली हुए से गमलों पर  तू मेरी आशा बन जाना  उगती कोमल कोपल पर  आ आलिंगन थोड़ा कर लूँ  सांसों की उस खुशबू पर  तू मेरी होकर मुझ में घुल जा  बहती  सरिता जीवन पर