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Showing posts from October 31, 2021

सार लिखा जायेगा

 इस जीवन की कविता का  एक सार लिखा जायेगा  कोरे से जज्बातों का  अभिप्राय लिखा जायेगा  मन में बहती गंगा का  मिलन लिखा जायेगा  संगम तट पर बैठ सुहाना  गीत लिखा जायेगा  तेरे मेरे जज्बातों का  मूल लिखा जायेगा  इस रिश्ते की मर्यादा का  एक मनन लिखा जायेगा  तुझमें खोती रातों का  प्रकाश पढ़ा जायेगा  सुखी पड़ती यमुना का  बहाव सधा जायेगा  छोर नदी जलती आशाएँ राख़ बना जायेगा  तुझमें खोती यादों का  इतिहास लिखा जायेगा  इस जीवन की कविता का  एक सार लिखा जायेगा 

एक दीपक

 एक दीपक मेरे नाम का भी  हो सके तो जला लेना तुम  मन के घोर उन्मादों को  आँचल से  ढांक लेना तुम  बरसों से अधजला रहा है  बाती पाती गुमनाम रहा है  मन के ऊबड़खाबड़ मचानों को  आँचल से पाट लेना तुम  कुछ हुआ नहीं कुछ कहा नहीं  माँगा जो वह मिला नहीं  मन के अनसुलझे जज्बातों को  आँचल से बांध  लेना तुम एक दीपक मेरे नाम का भी  हो सके तो जला लेना तुम 

अभिसार लिखूंगा

 तेरे हर सवालों का जबाब लिखूंगा  झरने नदियां आँसूं का हिसाब लिखूंगा  एक अधूरे सपने का संवाद लिखूंगा  राह राहगीर रातों का वृतांत लिखूंगा  तेरे हर संघर्षों का आयाम लिखूंगा  माटी ममता मर्यादा का आलेख लिखूंगा  कुछ खोने कुछ पाने का विहार लिखूंगा  रिश्ते भावों दर्दों का अभिसार लिखूंगा   एक दिन अपने होने का वजूद लिखूंगा  कलम कहानी कविता का सारांश लिखूंगा 

जाने कौन

 खुद ही खुद को सब करना है  कैसे कह दूँ कि थक गया   हौंसला बरसों का मुझमें जाने कौन भरोसा है  जीवन है जीवन जीना है  कैसे कह दूँ की हार गया  संघर्ष है बरसों को मुझमें जाने कौन सहारा है  राहें हैं राहों चलना है  कैसे कह दूँ की भूल गया  मंजिल जो बरसों की मुझमें  जाने कौन निभाया है  आस रही है आस लगी है  कैसे कह दूँ की ख़्याब नहीं  पीड़ रही जो मन में मुझमें  जाने कौन बढ़ाया है  यूँ कब कोई साथ रहा है  कब कोई जो साथ चला है  जाने कोने मन में मुझमें  क्यों तेरा स्नेह रहा है