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Showing posts from October 18, 2020

एक गठरी

 एक गठरी में बचपन समेट लाया हूँ  बिसरे कुछ पलों को साथ लाया हूँ  बच्चों के चेहरे की ख़ुशी ने बताया है मुझे  मैं बचपन सुनहरा छोड़ आया हूँ  सिमित दुनियां में फैला आकाश ढूँढ लाया हूँ  ओखली में जुगनुओं को बांध आया हूँ  चौक में फैली रौशनी ने बताया है मुझे  मैं बचपन सुनहरा छोड़ आया हूँ  खुले हिमालय की चमक देख आया हूँ  खेतों में सरसों के फूल खिला आया हूँ  मिट्टी की सोंधी खुशबू ने जताया है मुझको  मैं बचपन सुनहरा छोड़ आया हूँ