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Showing posts from May 31, 2020

तुम्हे क्यों याद होगा

तुम्हे क्यों याद होगा वो तेरे दोस्तों के जालें वो मनों के बीच की दूरी वो सूखे दिन की बरसातें वो सर्दी की गरम बातें तुम्हे क्यों याद होगा वो ज़माने में तेरी बातें वो हर दिन की रुसवाईयाँ वो लोगो से नजदीकियां और मुझसे दो गज़ की दूरी तुम्हे क्यों याद होगा वो मेरे घर के कोने में दुबककर बैठी ख़ामोशी वो राहों में बिखरी हुई अनगिनत स्नेह की यादें तुम्हे क्यों याद होगा 

गुजरे साल

ठहरा हूँ वहाँ जहाँ छोड़ चला था यादों के ख़ाली नीड़ों को सुबह की खुलती आँखो ने शामों  के मंजर दोहराये पाता हूँ वहाँ जहाँ छोड़ चला था हाथों की सूनी सांसो को आँखों से जो बह नहीं पाया मन ने वो मंजर दोहराये देखा है वहाँ जहाँ छोड़ चला था। भूले रिश्तों की कसक रही है गुजरे सालों के कोनों पर खोने की एक पीड़ रही है