Posts

Showing posts from October 25, 2020

वो चाँद

  यूँ ठहरता कुछ भी नहीं  मंद पवन और बहती नदी  उम्मीदों की साख पर मैंने  वो चाँद ठहरते देखा है  यूँ साथ चलता कुछ भी नहीं  परछाई और सड़क मंजिल की  उम्मीदों की राह पर मैंने  साथ चाँद को चलते देखा है  यूँ कहता कुछ भी नहीं  विश्वास या भरोसा मन का  उम्मीदों के आसमान पर मैंने  वो चाँद चमकते देखा है