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Showing posts from July 16, 2023

वो और हम

वो मेरी पोस्ट नही पढ़ता मैं उसकी पोस्ट नही पढ़ता वो सर्च नही करता मै लाइक शेयर नही करता जानता है वो मै लिखता हूँ क्यों सजता है वो पर जताता नही है वो मेरी फोटो नही रखता मैं उसे पूछे बिना सेव नही करता सेल्फी लेता है वो बहुत मैं खुद को अच्छा नही लगता जानता है वो हम साथ अच्छे लगते हैं पास चलता है पर हाथ नही पकडता वो मुझे सलाह नही देता मैं उससे पूछे बिना नही रहा बोलता कम है वो बहुत मै चुप होता नही हूँ हंसता है वो नजर झुका लेता है साथ देता है पर जताता नही है

बैध अबैध

 खुशियां गांठे बांधकर ले आगोश समाय दरकता सा पहाड़ हूँ खिसकता सा रह जाय सांसों से पोथी लिखी मन समझा न पाय  शिलालेख आवत गढ़ी अक्षर समझा न पाय  छुपी हुई संभावना , पास समुन्दर आय  आशाओं का आसमा फैलाये मिल जाय  लिपटी चिपककर सी गयी एक खुशबू मन समाय  अहसासों की ओढ़नी दे अपनेपन की शाम  मन्नतों के द्वारों पर एक अरज हमारी जाय  शांति लिखे तो शोर में मन आलाव जलाय  वैदेही के स्वयम्बर सा धनुष तोड़ न पाय  आशाओं के सफर पर प्रयास लिए सजाय  नीड की हर एक कल्पना , अधिरथ रहती जाय  मन गूढ़ता का भाव सा अब लक्ष्य भेद न पाय  सावन को चिट्ठी लिखी फूलों का इंतजार  बरबस यादें मन बसी ऊँचे पहाड़ समाय  ख्वाइशों की नाव पर डगमग पैर चढ़ाय रेत सिमटी मंजूरी हाथ सरकती जाय  अनकही सी पीड़ का मनवा बलबल जाय  रुन्धती आवाज़ रही हाथ कांपते जाय  बैध अबैध जो एक है रोम रोम बस जाय  साथ समर्पित एक सा मैं मुझमे मिल जाय 

तु ही सदा

मन्नतों की घंण्टीयों में तु आस के तालों में तु चढाई हुई चुन्नी में तु प्रसाद की हर थाली में तु दुवावों में तु दवाओं में तु चढती सीढियों में तु लम्बी सी कतारों में तु अभास में तु अहसास में तु मिलने में तु खोने में तु हंसने में तु रोने में तु सोने में तु जगने में तु हर पल हर घडी में तु तु ही है तु ही सदा तु भीड में तु मौन तु तु शैव ही तु शिव मेरा आदि से अब अन्त में तु