Posts

Showing posts from November 15, 2020

तटबंध

 तू भी न आया  मुझसे भी न जाया गया  शायद कहीं सीमाएं टूट न जाय स्नेह की  इसलिए उन्मादों के तटबंध नहीं तोड़े जाते  तुझसे भी न झाँका गया मैं भी लाँघ न पाया  जिज्ञासाओं के माकन छूए नहीं जाते कहीं  इसलिए दिवार अनुभूति की पार की नही जाती   तुझसे भी न कहा गया मैं भी सहमा सा रहा  कहीं दायरे खुद को खींच न लें नजरों के  इसलिए असर मनों के दिखाए नहीं जाते  तुझसे भी न लिखा गया मेरी भी सीमाएं रही  कहीं भावनाओं का बिखराव देख न लें सभी  इसलिए हर बात कहीं भी नहीं  जाती