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Showing posts from October 11, 2020

आंदोलन के केले !! ( कहानी)

  आंदोलन के केले !!  बात १९९०-९१ की है उन दिनों देश में आरक्षण आंदोलन बढ़ता जा रहा था और हर विद्यार्थी की तरह हमारे स्कूल के बच्चे भी आंदोलन में कूदे हुए थे।  मुझे स्कूल में मेरे गुरुओं ने छोटे नेता का नाम दिया था और मेरे एक दोस्त को बड़ा नेता नाम दिया था वो शायद  इसलिए कि हम दोनों किसी भी विषय पर ठीक - ठाक भाषण दे देते थे आउट कई बार स्कूल को मद्य- निषेध और कई अन्य भाषण प्रतियोगिताएं में पुरुस्कार जीतकर लाये थे।  उन दिनों एक बार स्कूल में ही अपने प्रिंसिपल के नाम लेकर ही उन्ही के सामने हाय- हाय के नारे भी लगवा दिए थे और ये उन गुरुओ कि महानता थी कि उसके बाद भी वो हमे कहते थे कि भाषण में क्या अच्छा था और कैसे उसे सुधारा जा सकता था।   यही करते करते एक दिन सुबह ही सबने तय किया कि आज आस पड़ोस के सब स्कूल - कॉलेज बंद करवाने हैं और सबको लेकर एक धरना करना है।  पड़ोस के ३ किलोमीटर कि दूरी का स्कूल हमसे हमेशा डरा सा ही रहा और हमारे जाते ही सुबह छुट्टी कि घंटी बजा गए।  थोड़ा भाषण बाजी के बाद दोनों स्कूलों के बच्चे आगे बड़े और ७ किलोमीटर दूर दुसरे स्कूल में पहुँचे वहाँ भी दौड़ भाग में स्कूल के प्र

कुछ नहीं है

 कुछ नहीं है फिर भी एक आस है  संवादों के सिमित दायरों में  रिश्तों की एक मिठास है।   कुछ नहीं है फिर भी विश्वास है  खींचती  बढ़ती दूरियों में   अनछुआ सा कोई तार है।।  कुछ नहीं है फिर भी अहसास है सींचता है  खालीपन में   स्मृतियों का कोई प्रयास है।।।  कुछ नहीं है फिर भी मन उदास है  कहता है सबकुछ मौन में   यादों का एक इतिहास है।।।। 

गढभाषा आन्दोलन

क्वे लाग्यां इतिहास रचौंणां क्वे कविता म्यसोणां छन ये गढ़भाषा आंदोलन को मैं छोट्यू -मोट्यु डण्डयौंर छौं ।   गुस्ठि होणी  च पंगत लगयि च क्वे संस्कार बचौंणा छन  ये गढ़भाषा आंदोलन को मैं छोट्यू -मोट्यु स्वग्वौंर छौं ।  शबद बज्यैलयें नपती रच्ये द्ये मांगल्य गीत लगयौंणा छन  ये गढ़भाषा आंदोलन को मैं छोट्यू -मोट्यु डुन्गयोर छौं । धुवल्यीं लगे कैन म्युच्यल्यी जगे केन क्वे मौंल्यार लगौणा छन  ये गढ़भाषा आंदोलन को मैं छोट्यू -मोट्यु पणग्यौंर छौं ।  गढ़कुमाऊँ की खोज कना क्वीं क्वे गढ़ खड्यू करौंणा छन  ये गढ़भाषा आंदोलन को मैं छोट्यू -मोट्यु पिठल्योर छौं । माटु  खणि जा भीड़ चिड़्ये जा गढ़ धरती धौ लगनी च  ये गढ़भाषा आंदोलन को मैं छोट्यू -मोट्यु मल्यौर छौं ।  मंदिर बडौंलू गढ़भाषा को तुम सब ल्योन की मेहनत च  ये गढ़भाषा आंदोलन को मैं छोट्यू -मोट्यु छपलौर छौं ।