Posts

Showing posts from November 26, 2023

जुगनू हूँ

शहर की शाम में   चेहरा गुम है तेरा  साथ है हर वक्त और  जिक्र गुम है तेरा संवादों से परे भी  एक दुनिया है मेरी चुप गुमशुम सी  नाराज जिन्दगी है मेरी अहसासों का अंबार  और यादों की ताबिर है शहर में हल्ला बहुत है  मन बडा खामोश है रौशनी में चौन्धियाना  न आया है मुझे जुगनू हूँ  मुझें अंधेरों का इतबार है

हाथ मेरा पकड़ोगे तुम

 क्या अबके जब फिर बारिश होगी  हाथ मेरा पकड़ोगे तुम  छोड़ के सारी लोक लाज सब  संग मेरे भीगोगे तुम ?  क्या अबके जब फिर घिरेंगे बदरा बाहें भर जकड़ोगे तुम  सुध बुध अपनी खोकर सब  संग मेरे नाचोगे तुम ?  पीली सरसों तीतर बोले  क्या आवाज़ लगाओगे तुम  मिला के सुर में सुर मेरे  क्या मेरे संग गाओगी तुम ?  क्या जब लम्बी कोई सड़क रहे  मेरे साथ बैठोगी तुम  देकर अपना हाथों हाथ  क्या मेरा हाथ पकड़ोगी तुम ?

तरंग

शान्ती तु शुकून तु मेरे मन का हर चैन तु तु स्पर्श है अहसास का तु बन्दगी मेरी सांसो की तुझे देखूँ तो शूकून है तुझे देखूँ तो शान्ती मेरी छूँ लूँ तो तरंग है साथ तु समर्पण भी तु खुशी में तु तनाव में तु जीवन के हर जज्बात में तु पाना खोना रब के हवाले मेरे स्नेह की मर्यादा है तु