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कुछ रंग तू ले आ

  तु नीला सा समुंदर ला  मैं पहाड़ो की बिछी हरियाली  तु खुला सा आसमां बन जा  मैं उसमे तैरती बासंती चल कुछ रंग तू ले आ  चल कुछ रंग मैं ले लूँ तु छैनी और हथोड़ी ला  मैं पत्थर की जरीदारी तु रेती का महल ले आ  मैं कागज़ कलम थोड़ी स्याही  चल कुछ रंग तू ले आ  चल कुछ रंग मैं ले लूँ मैं ठहरा सा मकां बन जा  तु  उस पर दौड़ती तटिनी  मैं सुखी रेत मरुस्थल की  तु  उसमें घुलती मृगतृष्णा    चल कुछ रंग मैं ले लूँ चल कुछ रंग तू ले आ