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Showing posts from February 6, 2022

संवाद हूँ

मैं विरह की वेदना का एक नया संवाद हूँ पढ न पाये दर्द कोई वो खुशी संवाद हूँ आभास की अवचेतना के शब्द का संवाद हूँ लिख न पाये दर्द कोई उस पीङ का संवाद हूँ त्याग की अवधारणा का अनकहा संवाद हूँ कह न पाये दर्द कोई उस प्रणय का संवाद हूँ अनकहे एक प्रेम का सार सा संवाद हूँ प्रेयसी के समर्पण सा मर्म सा संवाद हूँ जंगलों के शोर सा अनसुना संवाद हूँ नदियों का कलरव हूँ निरिह सा संवाद हूँ तु पढ भी लेना लिख भी लेना मैं बिन कहा संवाद हूँ तेरी तस्वीरों मे खुद को ढूंढता विश्वास का संवाद हूँ रातभर जो खत्म ना हो वो बिन अर्थी संवाद हूँ जग लङूं ये मान्य रिश्ता  उस दॄढता का संवाद हूँ

यवनिका

 निशीथ के नेपथ्य पर  बैठा हुआ मैं सोचता हूँ  यवनिका के पटाक्षेप में  दवाग्नि को कैसे बुझाऊँ वो दिवा के स्वप्न पर  आरूढ़ थी जो कोशिशें  उस खुशबू की साँस पर  अब समर्पण कैसे माँगू तन हुआ एक रंग सा  मन सिंदूरी छा रहा है  विश्वास की इस आस पर  सूत्र अब कैसे पिरोयूं अर्धसत्य ये जीवन अपना  अर्ध चली राहें सफ़रों की  मंजिल का जो ताना बाना तुझसे दूर कहाँ अब जाऊँ आ मुझको भी साथ में लेले  चल मेरे भी संग सदा तू  खोना पाना साथ लिखेंगे  तुझ बिन कैसे संग निभाऊं