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Showing posts from March 3, 2019

तेरा आधा क़दम

वो जो आधा क़दम  ठिठक सा जाता है।  भीड़ मे घिरा हो पर सहम सा जाता है। नज़र चुरा ले  पर पलकें झुका लेता है। वो जो अजनबी  मन से उतारा नहीं जाता ....

लोग

लोग हज़ार मिले कुछ थोड़े साथ रहे  तो कोई चल दिये ... और वो जो  जाने की ज़िद मे रहे वो ‘मन’ के सबसे  क़रीब रहे ..

ठिठका हूँ

मन में कुछ तो घर कर गया है। कुछ है जो कभी निकलता नहीं । कितनी सच्चाई थी  उन आँसुओं मे। आज तक ये  समझ तो नहीं पाया। फिर भी हर बार तेरे सम्मान मे ही ठिठका हूँ ।

सच्चाई

पर्ण झड़ेंगे तो दरख्त कहेंगे  पतझड़ के बाद वो बसन्त आयेंगे। झुलसाया हो सर्द हवा ने कितना न स्नेह मरा है न गाछ मरेंगे । बर्फ़ पिघलने मे देरी तो होगी दोस्त! पर ‘बुग्यालों’ के फूल सच्चाई कहेंगे

तु ही तो है

ये ‘ ब्लोग’वो डायरी  और ये कविता कहानी। वो लोग ये जीवन और ये तेरी मेरी मनमानी। सफ़र ये बदला कुछ भी नहीं है पहाड़ों सा मान बदला नहीं है। सम्मान कम तेरा हुआ नहीं है मन्दाकिनी भागीरथी गंगा तु ही है

कौन

यूँ  हिमालय बना गया जीवन को, वो कौन है जो पहाड पे इन्द्रधनुषी रंग उकेर गया। यकिं है सम्मानों के शिखर पर कोई तेरे जैसा ही  होगा .... पर वो तुझसा नहीं होगा......

तु शून्य मे भी

यूँ जब  कभी शून्य हुआ वो तेरा उपहास याद आया। ‘मन’ के विश्वास को उन सुनी बातों पे गिरता पाया। सम्मानों के शिखर पर रहा तु हरदम, यूँ लाम पर भी तेरा एहसास रहा..

खुला आसमान

किताबों मे खोये मन को वो कोई गीत बता गया। पढ़ते पढ़ाते ना जाने  कौन सा एहसास दे गया। पहाड़ों के पीछे की दुनियाँ देखी न थी कभी। वो कि समुन्दर का खुला आसमान दिखा गया.....

परिवर्तन

समय कब तेरा हुआ  कब मेरा हुआ। बहती दरिया कब कहॉ किसी एक की हुई। परिवर्तन नियम है  सृष्टि का दोस्त! ये पवन झोंका है, कभी मन्द कर गया, कभी झंजावत दे गया ।।।

दूरियाँ

चेहरा पढ़ न लूँ  भाव छिपाये सा रहता है, अब वो मुस्कुराहट  थामे सा रखता है, वक़्त ने दूरियाँ  कुछ यूँ बढ़ा दी... वो अपना सा निगेरबां रक़ीबों सा मिलता है.....

ख़्याल

दिन भर न जाने,  क्यों ख़्यालों मे रहता है? ये रिश्ता है अनजाना,  क्यों सम्मानों के पार रहता है? परवाह कहीं हो न हो, फिर क्यों वो ‘मन’के पास सा रहता है ?

हार जाना था मुझे

हार जाने का मन था, क्योंकि तेरा आज भी सम्मान है। सुना अब मेरी हार की शर्तें लगी हैं, और तु जीतने की ज़िद मे है, बेशक! जीतना नहीं था मुझे, पर परायों से हार गवांरा नहीं .....