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Showing posts from May 22, 2022

अनवरत रहेगा

मैं नही जानता राह किधर है मंजिल मुझको मिल पायेगी कदम बढाऊगा मैं साथी सफर मेरा अनवरत रहेगा  मै नही जानता सीमाओं पर खुशियों की तामिर मिलेगी  सपने सजाऊंगा मैं साथी संकल्प मेरा अनवरत रहेगा मैं नही जानता विश्वासों पर तुलना की टीकी दिवार मिलेगी नीव रखूँगा सदा मै साथी  संघर्ष  मेरा अनवरत रहेगा मै नही मानता जीवन मेरा तुझसे आगे बढ पायेगा फिर भी लूंगा सांस मै साथी स्नेह  मेरा अनवरत रहेगा

स्नेह सदा

जब भी कभी दुनियां हावी जब निष्कर्ष नही मिल पाता है स्नेह सदा ठुकराता है  तु मुझे हांसिये पर लाता है ।। जब भी कभी सघर्ष तेरे जब त्याग नही भूल पाता है  स्नेह सदा अजमाता है  तु  मुझे प्रश्नों में लाता है ।। जब भी कभी डर लगता है जब रिश्ता कुछ न बन पाता है स्नेह सदा रूलाता है  तु मुझे भूल सा जाता है ।। जब भी कभी मिलना होता है जब आगे मार्ग नही बन पाता है स्नेह सदा दोयम होता है तु मुझे रोक सा जाता है ।। जब भी सदा जीता अपनों को जब खुद के लिए हंसना नही बनता स्नेह सदा ड़र सा जाता है तु मुझे इशारा दे जाता है।। जब भी कभी सब मन आता है जब खुद को खुद में खो देता हूँ स्नेह सदा सहम जाता है  तु मझे और याद आ जाता है ।।

रौशनी से नहाया

 आशाओं की किरण  अब धुधलती सी  नज़र आती है मुझे  वो मेरे अंधेरों का  जगमग चेहरा आज  रौशनी से नहाया है  विश्वासों की डोर  अब सुदृढ़ सी  लग  जाती है  वो मेरे मन के    भीतर दबा दीप बाँहों को फैलता है  अहसास मानों का  एक तार जोड़कर  करीब सा लगता है  वो उसके लबों में  छुपा एक नाम  चेहरे पर पढ़ा जाता है 

मेरी माँ

 गर्मियों में छाया जैसी  सर्दियों की धुप है  मेरी माँ मेरे लिए  पुण्यों की खान है  संघर्षों की जीती  जागती मिसाल है  मेरी माँ मेरी लिए  सृष्टि का अवतार है  त्याग की परिछायी जैसी  उजालों का प्रकाश है  मेरी माँ मेरे लिए  लाखों संसार है  कर्मठता की  जलती सी ज्वाला है  मेरी माँ मेरी लिए  सारे तपों का प्रसाद है  गीतों की अंजुरी जैसी  कोमलता की छाप है  मेरी माँ मेरी लिए  मोटी सी गुदगुदी  गदरायी अहसासों  का आभास है   मेरी माँ मेरी लिए  जन्मों का विरासत है