स्नेह सदा

जब भी कभी दुनियां हावी
जब निष्कर्ष नही मिल पाता है
स्नेह सदा ठुकराता है 
तु मुझे हांसिये पर लाता है ।।

जब भी कभी सघर्ष तेरे
जब त्याग नही भूल पाता है 
स्नेह सदा अजमाता है 
तु  मुझे प्रश्नों में लाता है ।।

जब भी कभी डर लगता है
जब रिश्ता कुछ न बन पाता है
स्नेह सदा रूलाता है 
तु मुझे भूल सा जाता है ।।

जब भी कभी मिलना होता है
जब आगे मार्ग नही बन पाता है
स्नेह सदा दोयम होता है
तु मुझे रोक सा जाता है ।।

जब भी सदा जीता अपनों को
जब खुद के लिए हंसना नही बनता
स्नेह सदा ड़र सा जाता है
तु मुझे इशारा दे जाता है।।

जब भी कभी सब मन आता है
जब खुद को खुद में खो देता हूँ
स्नेह सदा सहम जाता है 
तु मझे और याद आ जाता है ।।


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