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Showing posts from March 29, 2020

कोशिश

तेरी ख़ामोशी को लिखने की कविता गीतों की कोशिश है अनकहे अधूरे संवादों की  कड़ी जोड़ने की कोशिश है। जहाँ कही जो छूट गयी थी  सम्मान सहृदय  कोशिश है  अनसुलझी अधखुली कड़ी की माला गाँठने  की कोशिश है जिन राहों से भटक गए थे  वापस जाने की कोशिश है साथ  हाथ जो मिले नही  उन्हें गले लगाने की कोशिश है रूठ गये जो वो  जाने वाले  पास बुलाने की कोशिश है मन ही मन में रहे सदा जो  प्राण मूरत बनाने की कोशिश है छोटी सी अनजानी सी  मधूर स्मृतियों की कहानी है  तुम भी तुम रहो खामोश रहो मेरी अपनी बात कहने की कोशिश है 

दूरियाँ जानती नही

दूरियाँ  दौड़ाती बहुत हैं कभी मील के पत्थर में कभी समय की सीमा में ये नही जानती कि मन है न जाने कब कहाँ पहुँच जाय दूरियाँ तड़फड़ाती बहुत हैं  कभी आँसुओं में ढल जाती हैं कभी गुमसुम कर जाती हैं  ये नही जानती कि आस है छूटती कब है  छोड़ती कब है दूरियां अहसास करवाती भी है कभी पुरानी यादों मे ले जाती है कभी सालों की सोगात दे जाती है  ये नही जानती कि कोई रिश्ता था मनों का मन में उतर कर रह जाता है 

यादों के गीत

कभी कहीं पर सूखी मिट्टी  कुछ अलसाई बेल मिलेंगीं थकी हुई चिड़ियों के स्वर में  कुछ यादों के गीत मिलेंगें  चलती राहों में जब कोई हाफती  दोपहर मिलेगी  सूखते झरने के स्वर में कुछ यादों के गीत मिलेगें  खाली चिन्तन में जब कोई चिन्ता मन को घेर रहेगी  घर के सूने एक कोने में  कुछ यादों के गीत मिलेंगें 

दाग

जानता तु सब है कि तु सबसे अलग है ख़्याल जब अपना हो तो मन में तु भी है  मुफ़लिसी का दौर है कि हर राही परेशान है  भटकती हर राह में तेरा ख़्याल साथ है कोई घर में कोई बाहर है कि इच्छाओं का सब घेर है घुमते हर मकां पर तेरा नाम का ये दाग है