दाग

जानता तु सब है
कि तु सबसे अलग है
ख़्याल जब अपना हो
तो मन में तु भी है 

मुफ़लिसी का दौर है
कि हर राही परेशान है 
भटकती हर राह में
तेरा ख़्याल साथ है

कोई घर में कोई बाहर है
कि इच्छाओं का सब घेर है
घुमते हर मकां पर
तेरा नाम का ये दाग है 

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