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Showing posts from November 8, 2020

शामिल

 अक्सर लिखकर मिटाता हूँ  वो उसका नाम और यादें  उजाड़े कहाँ जाते हैं  घोंसले जो खुद बनाये हों तु शामिल मेरे जहां में है  कुछ यादों में कुछ भावों में  वो बनता बिगड़ता है  सपनों का जहां मेरा  तु आये या नहीं आये  मनो के बीच रहता है  कहां भूला वो जायेगा  जो मन के पास रहता है