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Showing posts from April 30, 2023

सांसो के उत्ताप

धडकती है सांसे जोर से वो बाहों में जकड जब लेता है कोमल बदन की छूबन  अहसासों को मदहोश कर जाती है रोंगटे उठते हैं सांसो के  वो हल्के से माथा जब चूम लेता है हाथों में हाथ हो विश्वाश का राहें जीत तय कर जाती है खुशबू बिखर जाती है  वो जब दूरियां तन की खत्म कर जाता है  हजारों चुम्बन होते हैं विश्वासों के रिश्ते खुद व खुद बन जाते हैं कठिन है डगर मुश्किल बडी  पर रिश्तों की इबारत खडी कर जाता है देकर हजारो हक मन से मुझे वो सर्वस्व न्यौछावर कर जाता है 

तेरी खुशबू

मेरी जिद में हारता नही है वो समर्पण कर जाता है  बाहों भर लेता है मुझे  और मुझे जीता सा जाता है चूम लेता है माथा मेरा वो दिवाना कर जाता है सांसे दे जाता है मुझे  और मुझे मेरी दुनिया दे जाता है छोटी सी दुनिया बसायी है हमने वो स्नेह मजबूत कर जाता है रखता है सबसे आगे मुझे और मुझे सर्वस्व बना जाता है  यूँ तो लघू होते हैं सांसो के उत्ताप  वो समयों साथ दे जाता है देकर अपना समय मुझे  वो मुझपर लुट सा जाता है

तेरी निशानीयां

सूने मन में भी महफिल सज जाती है एक तेरे अहसास के बाद  कि ओढ लूंगा इश्क तेरा तेरी दी हुई हर यादों के साथ खुद में खोया हूँ भीड़ आ जाती है एक तेरे अहसास के बाद कि जी लूँगा इश्क तेरा तेरी समर्पण की यादों के साथ अंधेरे मन के कोने जगमग हो जाते हैं एक तेरे अहसास के बाद कि पा लूँगा इश्क तेरा तेरी बातों को मान जाने के बाद धडकती सांसों को ठहराव मिलता है एक तेरे अहसास के बाद कि रंग लूँगा इश्क तेरा तुझे बाहों में भर जाने के बाद 

तेरा साथ

मैं सफर की आखिरी अंजान सी मंजिल नहीं गीत रचती एक कविता मैं समय सीमा नहीं मैं सतत चलती हुई छोटी नदी की धार हूँ तु दे गया सम्पूर्णता जो  उस आभास का पर्याय हूँ पढा न गया जो कभी  वो समय अभिलेख हूँ तेरा तराशा पाषाण सा तुझमें समाता साथ हूँ

जरूरी नही

तुझे भी उतना ही अपनापन हो जरूरी तो नहीं, सम्मान ही सम्मान की क़ीमत हो जरूरी तो नहीं जिस राह पर कदम अकेले चले थे कभी हर उस सफर की कोई मंजिल हो जरूरी तो नही छुऐ होंगे यथार्त के मानक कई तुमने भावनात्मक मन की छुवन सबसे हो जरूरी तो नही खेत खलिहानों के आगे भी एक जमीं है  रेगिस्तान में बहार न हो ये जरूरी तो नही  तेरा मिलना न मिलना छोडा है उस रब पर मैं कोशिशों से हार जाऊँ ये जरूरी तो नही  उतार चढाव तेरे मन के समझे हैं मैने  तु मेरे जैसे हो जाय ये जरूरी तो नही  तेरी सासों से लिपटी लाश है मेरी  फिर भी जिन्दगी बहम हो ये जरूरी तो नही  प्रयासों के पहाड न हों एक अदना सा विश्वास सही बाकि तु मेरी तरह हो ये जरूरी तो नही  समझी है अस्थिरता तेरे फर्जों की मैं उसमें पूरा शामिल हूँ ये जरूरी तो नही

बुनते सपने

 आजा तु साथ मेरे  तस्वीर नहीं मागूंगा  रहना तु साथ मेरे  वक़्त नहीं मागूंगा  बस जा तु गीत मेरे  शब्द नहीं मागूंगा  रह जा तु प्राण मेरे  साँस नहीं मागूंगा  जीवन दस्तूर यही है  बनती एक राह यही है  सपने बुनते जाते हैं  हम तुम मिलते जाते हैं