तेरी निशानीयां

सूने मन में भी महफिल सज जाती है
एक तेरे अहसास के बाद 
कि ओढ लूंगा इश्क तेरा
तेरी दी हुई हर यादों के साथ

खुद में खोया हूँ भीड़ आ जाती है
एक तेरे अहसास के बाद
कि जी लूँगा इश्क तेरा
तेरी समर्पण की यादों के साथ

अंधेरे मन के कोने जगमग हो जाते हैं
एक तेरे अहसास के बाद
कि पा लूँगा इश्क तेरा
तेरी बातों को मान जाने के बाद

धडकती सांसों को ठहराव मिलता है
एक तेरे अहसास के बाद
कि रंग लूँगा इश्क तेरा
तुझे बाहों में भर जाने के बाद 

Comments

Popular posts from this blog

दगडू नी रेन्दु सदानी

कहाँ अपना मेल प्रिये

प्राण