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Showing posts from October 24, 2021

जीवन ये अभिशप्त

 मैं माटी में उपज न पाया  खाक भरी तक़दीर लिए  एक तूने है हसना सिखाया  बचपन झूला झूल गए  अब दो छोर खड़ी आशाएं  जीवन जीना भूल गए  कुछ तेरे दायित्व बड़े हैं  कुछ जीवन ये अभिशप्त प्रिये !! मैं ऊँचे शिखरों चढ़ न पाया  राख़ हुई उम्मीद लिए  एक तूने है बढ़ना सिखाया  संग तेरे हसना सिख गए  फिर तू थमता राह पुरानी जीवन जाने किस ओर बढ़ें  कुछ मुझसे लाख बड़े हैं रिश्ते  कुछ जीवन ये अभिशप्त प्रिये !!

बीज एक धरती

 चाँद पर टिकती नज़र  चाँद से ही दूरियां  जिंदगी में जिंदगी  ढूंढ़ता बरसों रहा  यूँ अमावस दूर तक  साथ ही चलता रहा  छोर पर छिटका मिला  वो चाँद अब भी दूर है  हो उजाला जग सदा  दीप तल हक़ हो मेरा  वो आरती सी रौशनी  मैं आखिरी पहुना खड़ा  है जरूरत साँस जो  पास आकर थम गया  साँस जब थमती लगे  हो साथ वो अपना खड़ा  हो हिमालय जग रचा  हिमनदी हक़ हो मेरा  वो हर तरफ हों फूल सा  मैं बीज एक धरती पड़ा 

मेरी एक दुनियां

 कभी बातों की खुशबू है  कभी सांसों की खुशबू है  तु हर पल मन में रहता है  तु गावों सी विरासत है  कभी संग बांध देता है  कभी संग छोड़ देता है  तु हर पल मन की चाहत है  तु गावों का हिमालय है  कभी बाहें पसारे है  कभी मुँह मोड़ देता है  तु हर पल मन बुलाता है  तु गावों की गंगा है  तुझे पूजा तुझे माना तुझे बरसों निहारा है  फकत एक बात मन में है  तु रमन धूलि है गावों की  जहाँ मैं छोड़कर आया  जहाँ तक दूर जाना है  तु घिरा है गगन पहाड़ों से  तु मेरी एक दुनियां है 

यादों के दीपदान

 वो यादों के दीपदान  हर बार उजाला करते हैं  मन के अंदर है जो अँधेरा  उसे जला से जाते हैं वो बातों के दौर सुहाने  हर बार संवारा करते हैं  सांसो के अंदर मरते मन को  आस थमा से जाते हैं  वो ख्वाबों के अंतर्ध्यान  हर बार हौंसला देते हैं  जिद जो बची रही है मन में  द्वार खोल सी जाती है  सालों की वो खोज समर्पण  चमक रौशनी देते हैं  अदृश्य हुई जो मंजिल मन की  उससे दिखा से जाते हैं।