बीज एक धरती

 चाँद पर टिकती नज़र 

चाँद से ही दूरियां 

जिंदगी में जिंदगी 

ढूंढ़ता बरसों रहा 


यूँ अमावस दूर तक 

साथ ही चलता रहा 

छोर पर छिटका मिला 

वो चाँद अब भी दूर है 


हो उजाला जग सदा 

दीप तल हक़ हो मेरा 

वो आरती सी रौशनी 

मैं आखिरी पहुना खड़ा 


है जरूरत साँस जो 

पास आकर थम गया 

साँस जब थमती लगे 

हो साथ वो अपना खड़ा 


हो हिमालय जग रचा 

हिमनदी हक़ हो मेरा 

वो हर तरफ हों फूल सा 

मैं बीज एक धरती पड़ा 


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