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Showing posts from January 15, 2023

अनायास

एक गीतों की बानगी सांसो ने लिखी कहीं  हाथों हाथ मिले मगर अहसासों की बन्दगी  शामों की फिजाओं में मनों की खामोश स्वीकृति तन मन दोनो एक हुए दुनियां की परवाह नही लबो के रंग मिल गये हमजोली परिधानों की छुकर बार बार गये वो कोमल स्पर्श पंखुडी उत्तापों के तापों पे हिलोर लगायी बानगी झूले पर्वत साथ समुन्दर समा गयी सब धारनी  सीमित समयों ने छेडी है सीमित तान मल्हार सी बाहों संग समा बैठी है कोमल तन की अगडायी दो से एक हुए मन तर्पण संग बडी अतुरायी भी खुद को खुद के साथ समाकर खुद से मिली दिवानगी

मेरी गंगा मुझ में बहकर

मिलने की दुश्वारी होती  म्यानें ही खुल जाती हैं  भाव बढ़ा त्योरी चढ़ जाती  बात बात अड़  जाती है  स्नेह समर्पण साथ रखे  हम बात बात लड़ जाते हैं  तय किये हुई कुछ बातें होती  मिलने पर आ जाती हैं  देर हो गयी झट से आओ  गुस्से से कह जाती है  रोष जोश भावों में दिखता मन में पिघल ही जाती है  एक नज़र नजरों से मिलती  कथा पलट सी जाती है वो मुझमें खो जाती है  और साँसें थम जाती हैं  कहती है सब करो जो ठाना गीत मिलन के गाती है  साँसें देकर जीवन देती  मुझमें घुल सी जाती है  हो समर्पित मुझमें बहती  मेरी गंगा  बन जाती है  कर पवित्र एक धाम रचाती बंधन जोड़ सी जाती है  पल से दिन और दिन से हफ़्ते  सालों की कशिश मिटाती है   मेरी गंगा मुझ में बहकर  प्राण वायु दे जाती है  जन्मो का एक बंधन जोड़ती  जीवन दर्शन देती है  मेरी गंगा मुझ में बहकर  प्राण वायु दे जाती है