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Showing posts from September 13, 2020

अधूरे छोड़ता हूँ

  कुछ संवाद अधूरे छोड़ता हूँ  कुछ रिश्ते अधूरे ही रखता हूँ  यूँ तो मुश्किल नहीं मंजिलें पाना  कुछ रास्तों पर बस चलना चाहता हूँ  कुछ किताबें अधूरी छोड़ता हूँ  कुछ ख़्याब अधूरे पालता हूँ  यूँ तो मुश्किल नहीं सबकुछ कहना   कुछ बातें अनकही छोड़ना चाहता हूँ  कुछ लिखा मिटाना चाहता हूँ  कुछ चित्र बेरंग छोड़ना चाहता हूँ  यूँ तो मुश्किल नहीं  सबको पूजना  पर कुछ मूर्तियां मन में रखना चाहता हूँ 

मीन्नतें

वो उसके नाम की कभी कहीं मीन्नत नही माँगी  वो तालों में दिवारों में  कहीं फ़रियाद नही माँगी  जो हिस्से में लिखा मेरे मुझे मिलता रहता हरदम कोई ख्वाईश अधूरी सी  कोई सपना अधूरा सा ..