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Showing posts from January 16, 2022

तु मंजिल है

 मिलना जुलना तो यूँ नहीं होगा  उम्रभर साथ यूँ जरूरी है  मैं नदी हूँ एक बहती सी  तु समुन्दर सा ठहरना तो जरा  बात बातों में बात कब होगी  तेरे कुछ अस्क तो जरूरी हैं मैं आईना हूँ सूनेपन का  तु कभी सज के निखरना तो सही   तु चला आये यूँ समय तो नहीं होगा  खुशबू का वो झौंका  तो जरूरी है मैं तलाश हूँ अधूरे सफरों के  तु मंजिल बनकर मिलना तो सही 

कोई हिकमत है

 हिमालय छूँ के लौटा हूँ  समुन्दर एक सपना है  न बादल थे कभी मेरे  न लहरें साथ मिलनी है  ये तन्हा है सफर लम्बा  तु कुछ पल साथ में रहना  सालों मन में रखा है  जुबान पर लौट आया है  मन का एक निश्चय है  कलम की कोई हिकमत है रुकेगा कुछ समय लम्बा  तु कुछ पल साथ में चलना  आखों में जो हरपल है  सांसे बंद हो तुझपर  जिसे पाकर जमाना  है  जिसे खोकर सिफर जीवन  जमना है तेरे तीरे तु कुछ पल साथ में बहना