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Showing posts from January 23, 2022

अथाह प्रेम

 वो कहता है वो साथ मेरे  वो पास मेरे अहसासों में  मिले सफर के मोड आखिरी  मजिल मेरी तुझ तक है  मैं चादर फैलाऊँ जितना  ढांप लूँ तन मन जीवन सब  दूर रहे या पास रहे तु अपनापन बस तुझ तक है  वो कहता है गए ऐसा हो  वो साथ में मेरे चल निकले  राह बनायीं नयी नहीं जो  ख्वाब हमारे तुझतक हैं मैं अथाह प्रेम की सीमा तक  रंग दूँ यह जीवन वृतांत सब  मिल जाये या खो जाये तु  जीवन समर बस तुझ तक है

आलिंगन सिन्दूरी हो

 मैं कह बैठा वो कठिन बात  मन गांठ बैठाये बरसों थी  आ आलिंगन सिन्दूरी हो  मैं बांध लूँ तुझसे मन डोर प्रिये  कब जाने जाती साँस लगे  कब बातें भी दुश्वारी हो  एक तुझमें खो लूँ तन मन सब  मैं थाम लूँ तेरा हाथ प्रिये  परिभाषा कब  गढ़ पाया हूँ  इस रिश्ते की बुनियादों का  एक जोड़ दूँ रिश्ता प्राणों तक  मैं रंग लूँ तेरे रंग प्रिये  कब चाहा सब सम्पूर्ण लगे  कब चाहा जीत लूँ जग सारा  एक टिस सी मन रखनी है  मैं जी लूँ जीवन नाम तेरे