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Showing posts from December 11, 2022

संग मिलाना है

 कोशिशें हार भी जाय  तब भी मैं कोशिश करूंगा  या तुझमे खो जाऊँगा  या तुझसे लिपट जाऊँगा  फिर रहा था अपनी तलाश में  मुझसे मेरा मिजाज अब मिला  या पाना है बस  तुझको  या तुझसे लिपट जाना है  वो जो सांसों में रहता है  मन का एक शिवाला है  या तो पाना है उसे  या पूज लेना है  ढूंढा है जिसे सदियों  वो मन के अंदर ही मिला  या तो संग मिलाना है उसे या उसमे खो जाना है 

अब भी स्नेह है

 दो पहलू हैं दो छोर हैं  विकल्प हैं या जरूरी नहीं हैं  असमंजस की खींचा तानी  परवाह नहीं है या विश्वास है  शुरुआत तुझसे हो कि मुझसे हो  भावनाओं के लिए ये जरूरी नहीं है  चुप था कि तब भी स्नेह था  कहना है सब कुछ कि अब भी स्नेह है  अभिमान नहीं खुद का भरोसा है तुझपर  व्यस्तता तुझतक है मुझसे नहीं  खुली किताब हैं राज मन में नहीं  जताया तो स्नेह है गुस्सा हैं वो भी स्नेह है