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Showing posts from August 21, 2022

गुड़ सी मीठी

वो चासनी सी मीठी है वो गुड़ की भेली सी भी है ईख के खेतो हरी भरी वो पूरी चीनी मिल सी है वो लौकी बैल सी कोमल है वो कोपल नई नई सी है मां के आंगन की तुलसी वो पूरी ही फुलवारी है वो सूरत की भोली है वो मूरत की भाली सी भी है गुस्से की लाल कुमुद सी वो मिर्चों की आगनबाड़ी है वो सर्द हवा का झौंका सा है गरम लू के थपेड़े सी भी है सावन का श्रींगार सी है वो जीवन हवा बासंती है

मंजिल तुम तक

 सबका अपना एक ही निश्चय  जीवन को खुशियों से भरना  इन क़दमों की मंजिल तुम तक  आहट सांसों बंधी है तेरी  भेंट लगाना गले लगाकर  इस तन की सब तपन है तेरी  सबका अपना एक ही सपना  मार्ग प्रशस्ति जीवन रखना  इस जीवन की मंजिल तुम तक  इंतजार मन मूरत तेरी  बाहें भींच के जकड सा जाना  ये मन अटका साख पे तेरी  सबका अपना एक ही जपना  हंसी ख़ुशी को साथ में रखना  इन खुशियों की मंजिल तुम तक  ठिठके कदम उस सूरत तेरी  झलक देखकर जड़ सा जाना  ये जग समता सीमा तेरी  आँखे कहती इंतजार था  बाहें गूढ़ता समां रही हैं  सांसो का सरपट सा दौड़ना  एकटक एकपल थमता जीवन  जानता है मन सब  बातें ये जीवन पहचान तुम्हारी 

तुम समय नहीं दे पाये

 कुछ गीत रचे हैं ऐसे  जो न तुम पढ़ पाये कहनी थी बात हज़ारों  तुम समय नहीं दे पाये  कुछ ख्वाब अधूरे छूटे  जो मन से छूट न पाये  कुछ बुने हैं रिश्ते ऐसे  शब्दों में न गढ़ पाये  मिलना था साथ तुम्हारे  तुम समय नहीं दे पाये  असहास धरे ताखे पे  जो मन से दूर न जा पाये  कुछ सपन सजोये ऐसे  सच की राह न पाये  पाना है साथ तुम्हारे  तुम समय नहीं दे पाये  रूकती  सांसे जीवन  जो मन के पार न हो पाये