Posts

Showing posts from May 21, 2023

असीमित

मैनें लिखा है जितना तुझे  चाहा है असीमित उससे भावनाओं का ठहराव तो नही रहा पर बह आया हूँ दूर उसमें मैनें देखा है जितना तुझे  सोचा है असीमित उससे अपराधों को आत्मसात तो नही किया पर अहसासों को सजाया है उसमें मैनें छूआ है जितना तुझे  महसूस किया है असीमित उससे विचारों को बहने तो नही दिया  पर उम्मीदों को जगाया है उसमें  मैने पाया है जितना तुझे  माँगा है हर दर असीमित उससे मिलना न मिलना नसीबों का खेल है पर कमी नही की हैं कोशिशे॔ उसमें 

थोड़ा हंसना है

बिखरना ही सही पर सिमटना है मुझे  छोटी ही सही दुनियां बसानी है मुझे  न मिले छंद जीवन के गीतों के  अधूरी ही सही पर रचना है मुझे  खोना ही सही पर थोड़ा पाना है मुझे  भरी दुपहरी छाँव तले बैठना है मुझे  न हो रोशन जग उम्मीदों का  डूबता ही सही पर सूरज देखना है मुझे  रोना ही सही पर थोड़ा हंसना है मुझे  जितना भी है पास बाँटना है मुझे  न हो मुक्कमल सपने उम्मीदों के  टूटता ही सही पर देखना है मुझे 

रचना है मुझे

 कोशिश सब कुछ पाने की नहीं है मेरी  मैं जनता हूँ यूँ किस्मत भी नहीं है मेरी  प्रयासों के पेड़ पर एक पत्थर उछालना है मुझे  खाली ही सही बस खुशियां समेटनी हैं मुझे  कोशिश जीत जाने की नहीं है मेरी  मैं जानता हूँ यूँ मंजिलें साथ भी नहीं मेरी  स्नेह की राहों में दौड़ना है मुझे  थोड़ा ही सही पर बढ़ते रहना है मुझे  कोशिश कुछ स्थापित करने की नहीं मेरी  मैं जानता हूँ यूँ कारीगरी भी मेरी  सोची है जो मूरत उकेरनी है मुझे  बिखरना ही सही पर रचना है मुझे