रचना है मुझे

 कोशिश सब कुछ पाने की नहीं है मेरी 
मैं जनता हूँ यूँ किस्मत भी नहीं है मेरी 
प्रयासों के पेड़ पर एक पत्थर उछालना है मुझे 
खाली ही सही बस खुशियां समेटनी हैं मुझे 

कोशिश जीत जाने की नहीं है मेरी 
मैं जानता हूँ यूँ मंजिलें साथ भी नहीं मेरी 
स्नेह की राहों में दौड़ना है मुझे 
थोड़ा ही सही पर बढ़ते रहना है मुझे 

कोशिश कुछ स्थापित करने की नहीं मेरी 
मैं जानता हूँ यूँ कारीगरी भी मेरी 
सोची है जो मूरत उकेरनी है मुझे 
बिखरना ही सही पर रचना है मुझे 





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