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Showing posts from February 12, 2023

तर्क

लडकर फिर बार बार लडना मनाना और फिर लड जाना समर्पित होते हैं कुछ रिश्ते  अहसासों का अपना संसार होता है जहाँ तर्क हो वहाँ स्नेह कहाँ होता है मनाकर फिर बार बार रूठ जाना रूठना और फिर मान जाना  सांसें देते हैं कुछ रिश्ते  अपनो में कोई सबसे अपना होता है जहाँ तर्क हो वहाँ स्नेह कहाँ होता है बातकर फिर बात बात न करना  चुप रहना पर हर बात सुनते जाना जरूरी होते हैं कुछ रिश्ते अपना  सब है पर कोई खास होता है जहाँ तर्क हो वहाँ स्नेह कहाँ होता है कहकर कि आना मत  इन्तजार करना खुद के काम समेटकर उसको सोचना जरूरी होते हैं असमय साथ जब भीड में भी एक अकेलापन होता है जहाँ तर्क हो वहाँ स्नेह कहाँ होता है