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Showing posts from July 5, 2020

तेरी तरह

कभी सोचता हूँ तुझसे मिलकर तेरी सारी शिकायतें कर डालूँ छुप जाऊँ  तुझमे  कहीं और फिर मैं खो जाऊँ  कभी सोचता हूँ तुझे लिखकर  सारे अरमान कह डालूँ पत्थरो पर उकेरु कहीं  फिर कलम तोड़ डालूँ  कभी सोचता हो तुझे भूलकर  दुनिया वीरान कर जाऊँ  आस के बीज बोयूं  और तेरी तरह भूल जाऊँ 

तु नादां

पहले तो सादगी ने लुभाया हमें  फिर सच से चेहरे यूँ बहकाया हमें स्नेह का रोग मन  को न था एक नादां ने अब ये सिखाया हमें  पहले नज़रें झुकाकर बुलाया हमें  फिर दोस्तों की जहालत बनाया हमें सच से जीने का हुनर तो पता था हमें झूठ को पर लगाना  सिखाया हमें  पहले अंजान अपनापन दिखाया हमें  फिर दूरियों को परिभाषित कराया हमें साथ रहने की क़समें न खायी मगर साथ रहना अकेले में सिखाया हमें