तेरी तरह


कभी सोचता हूँ तुझसे मिलकर
तेरी सारी शिकायतें कर डालूँ
छुप जाऊँ  तुझमे  कहीं
और फिर मैं खो जाऊँ 

कभी सोचता हूँ तुझे लिखकर 
सारे अरमान कह डालूँ
पत्थरो पर उकेरु कहीं 
फिर कलम तोड़ डालूँ 

कभी सोचता हो तुझे भूलकर 
दुनिया वीरान कर जाऊँ 
आस के बीज बोयूं 
और तेरी तरह भूल जाऊँ 

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