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Showing posts from September 12, 2021

जीवन वृतांत

 सब तय है जीवन वृतांत यह  कुछ पाना है कुछ खोना है  गम के साये दिन गुजरे जो  सुख दुःख का ताना बना है  सब तय है जीवन आराध्य यह  कुछ आना है कुछ जाना है  पुष्प समर्पित शेष बचे जो  आस अभिलाष अकल्पना है  सब तय है जीवन नितांत यह  कुछ जीना है कुछ मरना है  आचमन थामे आस बची जो  जन्म मरण का रास्ता है  सब तय है जीवन विस्तार यह  कुछ हसना है कुछ रोना है  गिने हुए दिन शेष बचें जो  आशीष समर्पित श्रद्धा है 

कम कहना कम सुनना

 बढ़ सी गयी है बातों की  अहमियत उसके होने की  कम कहना है कम सुनना आदेश रखा सर माथे पर  खोने को या पाने को है  जीवन एक अधर संगम  बढ़ आये  हूँ दूर बहुत  मुड़कर जाना होना न पायेगा   कम मिलना है कम है जताना साथ  लम्बे रास्तों पर है  खोने को है या रखने को है  जीवन एक सीख़ सरिता  बढ़ गया विश्वास बहुत  अब कम होना मुश्किल है  कम अपनाना कम दिखाना  सांसे सांसों में रखना है  दूरी बढ़ाना है या दूर रहना है  जीवन एक फैला दरिया 

कड़वे से शब्द

 नकाबों में कहा जिया कहाँ मन में रखा कुछ भी  परख उसकी  हार है मेरी  कड़वे से शब्द कह दिए मैंने  कोई सीमा कोई दुबिधा  मैं अपनों में नहीं रखता  जो पनपी थी शंका मन में  उससे खुलकर कहा  मैंने नसीबों में कहाँ पाना  मैं सब खोकर ही रहता हूँ  एक मैं ही हूँ समय बाधा उसने सहमे से जताया है  अदृश्य ही है मंजिल अब भी  मैं उन राहों से गुजरता हूँ  एक मैं साथ चलने की जिद्द में  उसने चुपके किनारा पकड़ा है  सफर यूँ तो अधूरा है  मुझे अहसास है हर दिन  कभी तो चाँद चमकेगा  वो मेरे भी छोर आएगा 

तब भी

 जब लगेगा सब कुछ खो सा दिया जीवन   तब भी एक तेरे मिलने की ख़ुशी होगी  थक गया हूँ अब बहुत साबित करने में  कुछ समय जिया हूँ अपने भी लिए  जब लगेगा की अँधेरा है सब ओर तब भी तेरी रौशनी राह दिखती रहेगी  चल गया हूँ अब बहुत पाने की तलाश में  कुछ समय खोना है अपने भी लिए  जब लगेगा की आस नहीं है अब कुछ भी  तब भी तेरे हर शब्द आस जगायेंगे  सुन लिया हूँ बहुत कुछ सिखने की आड़ में  कुछ समय भूलना है अपने भी लिए  जब लगेगा की सफर आखिरी है सांसो को  तब भी एक वो साँस सांसों में होगी  जी लिया हूँ बहुत बढ़ने की कश्मकश में  कुछ देर थक के बैठना है अपने भी लिए 

सफर तुमसे

 कभी ये साथ कम न हो  भरोसा हो सरोकारों का  हो रिश्तों की छाँव गहरी विश्वासों का सफर तुमसे  कभी डगमग सबीलें हो  साथ हो मुस्कुराहटों का  हो प्रसादों की थपक गहरी  मुक्कमल सा सफर तुमने  कभी जीवन परेशां सा हो  हाथ हो सवेदनाओं का  हो निशानों की छाप गहरी  मिलन का हर सफर तुमसे  कभी कुछ छूटता सा लगे  थमा हो हाथ अपनों का  हो समान्तर पैठ गहरी  आस का हर सफर तुमसे