सफर तुमसे

 कभी ये साथ कम न हो 

भरोसा हो सरोकारों का 

हो रिश्तों की छाँव गहरी

विश्वासों का सफर तुमसे 


कभी डगमग सबीलें हो 

साथ हो मुस्कुराहटों का 

हो प्रसादों की थपक गहरी 

मुक्कमल सा सफर तुमने 


कभी जीवन परेशां सा हो 

हाथ हो सवेदनाओं का 

हो निशानों की छाप गहरी 

मिलन का हर सफर तुमसे 


कभी कुछ छूटता सा लगे 

थमा हो हाथ अपनों का 

हो समान्तर पैठ गहरी 

आस का हर सफर तुमसे 

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