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Showing posts from May 29, 2022

ठहर जा साथ

 समर्पण है तेरा मुझको  मैं संकल्पो से बँध आया  तु नदिया साथ बहती सी  मैं समुन्दर ठौर कर आया  ठहर जा साथ तु कुछ पल को तो मेरे   मैं दरिया पार करके  ही निकल जाऊँ चाहत है तेरी मुझको  मैं भरोसे बाँध आया हूँ  तु मंजिल साथ रहती सी  मैं सफर में कौल कर आया  ठहर जा साथ तु कुछ पल को तो मेरे   मैं पताका पीट करके ही निकल जाऊ  उम्मीदें हैं बंधी तुझसे  मैं रातों जाग आया हूँ  तु उजाला शाम जगमग है  मैं अँधेरा चिर कर आया  ठहर जा साथ तु कुछ पल को तो मेरे   मैं जीवन जीत करके ही निकल जाऊ 

हर घडी

 तु शाँति में तु शोर में  तु मौन में अलाप में  हर समय की सीख में  तु हर घडी उम्मीद में  ध्यान मन का तुझसे है  सहजता तेरे नाम से  हर समय की दौड़ में  तु हर घडी संकल्प में  तु भोर में तु रात में  तु दिन चढ़ी सी धूप में  हर समय की रेत में  तु हर घडी है साँस में  परिपक्वता तु काम की  सम्पूर्णता तेरे जाप  से  हर समय की ओट में  तु हर घडी विश्वास में  तु बोल में तु भाव में  तु शब्द सागर नाम में  हर समय की जोत तुझसे   तु हर घडी अहसास में  जो रही खाली हथेली  रेखाएं तेरे नाम की  हर समय का संग तुझसे  तु हर घडी विश्राम में 

तेरा होना

 कोई अदृश्य है मेरा  जो तुझ तक बांध जाता है  तेरा होना तुझे पाना  ये आशीषों का मुक्कदर है  कोई रहता है संग मेरे  जो तुझ तक ले ही जाता है  तेरा होना तुझे पाना  ये सोचों से भी बढ़कर है  कोई सपना अधूरा सा  जो तुझ तक पूर्ण होता है  तेरा होना तुझे पाना  ये कर्मो की इबारत है  कोई मांगी दुआ मेरी  जो तेरे दर तक जाती है  तेरा होना तुझे पाना  ये विश्वासों की ईमारत है  सफर में साथ दे साथी  सफर की लाख उम्मीदें  तेरा होना तुझे पाना  सफर की एक मंजिल है 

कार्य क्षेत्र

 यहीं तक सफर साथ सीखे हुए  यहीं तक सफर साथ सम्मान के  सदियों चला है सदियों चलेगा  ये कार्यों के क्षेत्रों के रिश्ते अनोखे  यहीं तक सफर साथ बसते हुए  यही तक सफर साथ बढ़ते हुए  सदियों खींची है वो रेखा परस्पर  ये कार्यों के क्षेत्रों के रिश्ते अनोखे  जहां है खुला के विस्तृत मगर   सिमित रहे दायरों में सदा  सदियों रही एक बढ़ने की कोशिश  ये कार्यों के क्षेत्रों के रिश्ते अनोखे   सफर दर सफर ख़त्म होता नहीं  कदम दर कदम साथ चलता नहीं  सदियों खींची है वो सीमा परस्पर  ये कार्यों के क्षेत्रों के रिश्ते अनोखे