तुम समय नहीं दे पाये

 कुछ गीत रचे हैं ऐसे 
जो न तुम पढ़ पाये
कहनी थी बात हज़ारों 
तुम समय नहीं दे पाये 
कुछ ख्वाब अधूरे छूटे 
जो मन से छूट न पाये 

कुछ बुने हैं रिश्ते ऐसे 
शब्दों में न गढ़ पाये 
मिलना था साथ तुम्हारे 
तुम समय नहीं दे पाये 
असहास धरे ताखे पे 
जो मन से दूर न जा पाये 

कुछ सपन सजोये ऐसे 
सच की राह न पाये 
पाना है साथ तुम्हारे 
तुम समय नहीं दे पाये 
रूकती  सांसे जीवन 
जो मन के पार न हो पाये 

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