मेरी गंगा मुझ में बहकर

मिलने की दुश्वारी होती 
म्यानें ही खुल जाती हैं 
भाव बढ़ा त्योरी चढ़ जाती 
बात बात अड़  जाती है 
स्नेह समर्पण साथ रखे 
हम बात बात लड़ जाते हैं 

तय किये हुई कुछ बातें होती 
मिलने पर आ जाती हैं 
देर हो गयी झट से आओ 
गुस्से से कह जाती है 
रोष जोश भावों में दिखता
मन में पिघल ही जाती है 

एक नज़र नजरों से मिलती 
कथा पलट सी जाती है
वो मुझमें खो जाती है 
और साँसें थम जाती हैं 
कहती है सब करो जो ठाना
गीत मिलन के गाती है 

साँसें देकर जीवन देती 
मुझमें घुल सी जाती है 
हो समर्पित मुझमें बहती 
मेरी गंगा  बन जाती है 
कर पवित्र एक धाम रचाती
बंधन जोड़ सी जाती है 

पल से दिन और दिन से हफ़्ते 
सालों की कशिश मिटाती है  
मेरी गंगा मुझ में बहकर 
प्राण वायु दे जाती है 
जन्मो का एक बंधन जोड़ती 
जीवन दर्शन देती है 

मेरी गंगा मुझ में बहकर 
प्राण वायु दे जाती है 




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