सच्चाई

पर्ण झड़ेंगे तो दरख्त कहेंगे 

पतझड़ के बाद वो बसन्त आयेंगे।

झुलसाया हो सर्द हवा ने कितना

न स्नेह मरा है न गाछ मरेंगे ।

बर्फ़ पिघलने मे देरी तो होगी दोस्त!

पर ‘बुग्यालों’ के फूल सच्चाई कहेंगे

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