दो छोर

विश्वासो के दो छोर ही सही,

कभी तो बहेगी वो नदी।

चल तु अपना समुद्र ले आ,

मै पहाड ले आवूं ।

बीती हुई किसी बात मे,

चेहरे पे हँसी ले आवूं .......

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