द्वन्द
देखा है तुझे तेरे अपनो
से बात करते,
कभी मुझे चिढ़ाते
तो कभी ख़ुद चिढ़ते,
मेरा बदलना यू आसां नहीं,
सम्मानों के राह पे गुज़रा हूँ,
फ़लसफ़ा हूँ यादों का,
हाँ वो तेरा मेरा द्वन्द
सब बन्द है......
देखा है तुझे तेरे अपनो
से बात करते,
कभी मुझे चिढ़ाते
तो कभी ख़ुद चिढ़ते,
मेरा बदलना यू आसां नहीं,
सम्मानों के राह पे गुज़रा हूँ,
फ़लसफ़ा हूँ यादों का,
हाँ वो तेरा मेरा द्वन्द
सब बन्द है......
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