सम्मान
नाम नहीं कोई दे पाया
तुझसे मेरा मन का रिश्ता
दोस्त, सखा, अपना या पराया
जो भी है सम्मान से है ।
कोई चाहत मन मे ना हो
तुझसे पाना खोना कैसा
तेरे लिये दायरा कैसा
जो भी है सम्मान से है
तुझ तक कोई सीमाएँ न हो
तु हर बन्धन से है मुक्त
साथ चले या नज़र नज़र चुरा ले
जो भी है सम्मान से है .....
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