दूरियाँ

न तुझे देखना मेरा मक़सद 
न तुझे चाहना 
सनद रहे कि मेरी दूरियाँ 
अपनापन कभी कम नहीं करती
ये इन्तहां मेरे आदर्शो का है 
ये जज़्बातों का नहीं 
ये सम्मान का रिश्ता है 
फिर मन मे जो बसा हो
उसके लिए मन्दिर जाया नहीं जाता दोस्त!


Comments

Popular posts from this blog

दगडू नी रेन्दु सदानी

कहाँ अपना मेल प्रिये

प्राण