मुझे दुनिया से क्या

कोई ताबिर लिखे सफलताओं की
कोई छू ले उपल्बधियों के मक़ाम 
एक तेरे जाने का ग़म है
मुझे दुनिया से क्या

कौन रुका है समय के बहाव मे
कौन बहा है भावनाओं की बाढ़ मे
एक तेरे खोने का डर
मुझे दुनिया से क्या

कौन अपना हुआ स्वार्थ की यारी में
कौन बढ़ते हुए को सहारा देता है यहाँ 
एक अपनो से तेरी मजबूरी
मुझे दुनिया से क्या 



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