तु वो है
मै अवाक सा रहता हूँ
जब लोग तेरे बारे मै बतलाते हैं सोचता मुझसे कितना दूर है तु
क्या सच मे मेरा एहसास
मुझसे इस क़दर झूठ बोलता है
फिर सोचता हूँ मैंने कब सीमाऐं लांधी थी
या कि तेरे लिए मेरी क़द्र ही नही थी
यूँ नफ़रत कब पली होगी तेरे मन मे
क्या मैं सच मे यूँ नगंण्य था तेरे लिये
या फिर मेरी नज़रें तुझे न पढ़ सकीं
तु वो है जिसने मन को घेरे है हर दम
तु वो है जो सम्मानों के पार है
तेरे लिए हर हार हारना चाहता था
हर सीमाऐं तोड़कर खुद जकड़ जाना था
तु वो है जिसके लिए मनो का इतिहास लिखना है
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